ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सटीक हमला ही नहीं, बल्कि रक्षा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन भी था. पहली बार स्वदेशी मिसाइलों, ड्रोन और वायु रक्षा प्रणालियों ने सटीकता के साथ अपनी रक्षा की और साथ मिलकर सफलतापूर्वक हमले किए. ऑपरेशन सिंदूर में डीआरडीओ में विकसित हथियारों से लेकर विदेश के साथ भारत की तकनीकी साझेदारी तक की मिसाल देखने को मिली. आकाश जैसी स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली और डी4 जैसी ड्रोन-रोधी तकनीक हमलों के खिलाफ असरदार साबित हुईं. घरेलू रक्षा उत्पादन एक करोड़ 27 लाख करोड़ रुपये पार कर चुका है. भारत का लक्ष्य साल 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का उत्पादन करना है. इसके साथ ही भारत तेजी से वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनता जा रहा है.