तीन मई, 2025 को पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के दो साल पूरे हो जाएंगे. हिंसा में अब तक कम से कम 260 लोग जान गंवा चुके हैं. हालांकि अब राज्य में हिंसा काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन कभी-कभार होने वाली घटनाएं शांति को भंग करती रहती हैं. हजारों लोग अब भी उस डर, दुख और अपने घरों को छोड़ने के गम को भुला नहीं पा रहे हैं जो उन्होंने झेला है. ये अब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. हजारों लोग राज्य में ही अस्थायी तौर पर बनाए गए शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. दो साल पहले अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए लोग अब अपने घरों में लौटने का इंतजार कर रहे हैं. लोग शिविरों की हालत को बदहाल बताते हैं. उनके मुताबिक एक कमरे में चार परिवार रहते हैं और शिविरों में बुनियादी जरूरतों और सफाई जैसी चीजों की कमी है. राज्य में जातीय संघर्ष के दो साल पूरे हो रहे हैं और अलग-अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं. मैतेई समुदाय रैलियों और सम्मेलनों की तैयारी कर रहा है. वहीं कुकी समूहों का कहना है कि वे तीन मई को 'पृथक प्रशासन मांग दिवस' के रूप में मनाएंगे. मणिपुर वर्तमान में राष्ट्रपति शासन के अधीन है. हजारों लोग राज्य में जारी जातीय संघर्ष के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें जल्द ही स्थायी समाधान की उम्मीद है जो समुदायों के बीच दिख रही खाई को पाट देगा और राज्य में दोबारा शांति बहाली करेगा.