¡Sorpréndeme!

नहीं सुधरे हालात, पानी की किल्लत बनी चिंता का कारण

2025-04-23 194 Dailymotion

पेयजल संकट से गडरारोड के बा​शिंदे परेशान
एक तरफ जहां विभाग नियमित जलापूर्ति की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कस्बे में हालात जस के तस है। राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल कर जलापूर्ति को लेकर अधिकारियों को अवगत करवाया तो उन्होंने कहा था कि व्यवस्था सुधार होगा लेकिन चार दिन बाद भी पेयजल संकट खत्म नहीं हुआ है। सप्ताह अंतराल में नाममात्र समय के लिए जलापूर्ति करने से पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं हो रहा। ऐसे में लोग टैंकरों से जलापूर्ति कर जरूरत पूरी कर रहे हैं।
कस्बे के विभिन्न मोहल्लों में चार से पांच दिन के अंतरराल में जलापूर्ति की जा रही है। नाममात्र समय के लिए की जाने वाली जलापूर्ति पर पेयजल संकट की स्थिति हो गई है। इस पर लोग मोल महंगा पानी खरीदकर प्यास बुझाने को मजबूर है। परेशान ग्रामीण जलदाय विभाग कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी इन्हें कोई संतोषप्रद जबाब नहीं दे रहे हैं।
सरकारी ट्यूबवेल खराब, कैसे पहुंचे घरों में पानी
पत्रिका पड़ताल के बाद भी विभागीय अधिकारियों का दावा है कि कस्बे में कोई समस्या नहीं है। नियमित सप्लाई कर रहे हैं। इधर, जमीनी हकीकत यह है कि कस्बे के अधिकांश सरकारी ट्यूबवेल खराब है जिस पर जलापूर्ति प्रभावित हो रही है। जानकारी के अनुसार 16 में से 4 ट्यूबवेल ही सही है। ऐसे में यह दावा करना की जलापूर्ति सुचारू है, गले से उतर नहीं रहा।
चार-पांच दिन में जलापूर्ति
"चार-पांच दिन में नल आता है। उसमें भी प्रेशर इतना धीरे रहता है कि चार घड़े भी पानी नहीं मिलता है। ऐसे में ट्रैक्टर टंकी मंगवाने को मजबूर हैं।- चंपी देवी मेघवाल, उतरी मेघवाल बस्ती गडरारोड़
कस्बे में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था लडख़ड़ाई हुई है। पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होने से पेयजल संकट की स्थिति है, लेकिेन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विभाग व्यवस्था सुधारें।- विरेंद्र भूतड़ा, मुख्य बाजार
कस्बे में पांच -सात दिन अंतराल में जलापूर्ति की जा रही है। हमारी राजपूत बस्ती में छोटे-बड़े 100 से अधिक गोवंश है। इसके लिए हर रोज 400 रुपए टैंकर के चुकाकर प्यास बुझानी पड़ रही है। --पिंटूसिंह सोढ़ा
गडरारोड कस्बे के आसपास दर्जनों ट्यूबवेल से सिंचाई हो रही हैं लेकिन जलदाय विभाग के ट्यूबवेल देखरेख के अभाव में खराब हो जाते हैं। आज कस्बे के लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है।- नरेश कुमार वासु,गडरारोड