उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद का पीतल उद्योग इस बदलते दौर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है. यहां के कारीगरों ने पीढ़ियों से पीतल के बर्तनों पर जटिल डिजाइन तैयार करने की कला को अपनाया है.
हालांकि बारीक नक्काशी के साथ तैयार किए गए पीतल के उत्पादों के लिए मशहूर मुरादाबाद का ये उद्योग अब अपनी चमक खोता दिख रहा है. पीढ़ियों पुरानी इस विरासत पर खतरा मंडरा रहा है.
मुरादाबाद के पीतल उद्योग की ओर युवाओं की कम होती दिलचस्पी की वजह सिर्फ दूसरे उद्योगों में बेहतर वेतन वाली नौकरियां नहीं हैं. इसकी एक वजह पीतल के इन सामानों को बनाने के लिए जरूरी धीरज का गुम होना भी है. वैसे इसके लिए कारीगर कई और वजह भी गिनाते हैं.
कारीगरों का मानना है कि कई ऐसी सरकारी योजनाएं हैं जो इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए मददगार साबित हो रही है. हालांकि सवाल ये है कि क्या इन पारंपरिक कौशलों को संरक्षित करने और मदद देने के लिए मिल रहा सरकारी समर्थन काफी है? और क्या तेजी से बदल रही दुनिया अपने जरूरत से ज्यादा दबावों से आखिरकार मुरादाबाद पीतल उद्योग को गुमनामी में धकेल देगी?