जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने रुख से पीछे हटे हैं। बाबरी मस्जिद एक मस्जिद थी और हमेशा रहेगी। इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता।”
उन्होंने आगे कहा कि इंसाफ की उम्मीद लेकर हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। “जिस तरह फैसला आया, उस पर हमें अफसोस है, लेकिन हम देश में अमन-शांति और भाईचारे के साथ रहने के पक्षधर हैं।”
मदनी ने मुसलमानों से अपील की कि वे संयम रखें और देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखें। "हमारा संघर्ष कानूनी था और रहेगा," उन्होंने जोड़ा।