गर्म हवाओं के बीच जैसलमेर के बाजारों में मिट्टी के मटकों ने दस्तक दी है। लोककला की सौंधी खुशबू लिए ये मटके न केवल पानी को शीतल रखते हैं, बल्कि घर-आंगन की शोभा भी बढ़ा रहे हैं। रंग-बिरंगे, मनोहारी डिज़ाइन वाले मटके ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। महिलाएं इन मटकों को बड़े उत्साह से खरीद रही हैं। कुम्हारों की मेहनत से बने ये मटके जैसलमेर की परंपरा और जरूरत दोनों को सहज रूप में समेटे हुए हैं। तपते मौसम में माटी की यह ठंडक सुकून और संस्कृति का सुंदर संगम बन गई है।