पुरानी कहावत है...लौटकर बुद्धू घर को आए...लेकिन यहां कहानी एक प्रेमिका की है... जिसने कुछ दिन पहले पति को छोड़कर प्रेमी के साथ घर बसा लिया था... लेकिन अब वो लौटकर अपने पुराने पति के पास पहुंच गई है... इस कहानी में इश्क है...इजहार है...और पल भर में बदलते रिश्तों का करार है...इस कहानी में मोहब्बत अपने पुकाने मुकाम से नए मुकाम तक पहुंचती भी है...लेकिन रिश्तों की उलझी डोर... कहानी को फिर उसी मोड़ पर ले जाती है... जहां से ये कहानी शुरू हुई थी...पुरानी कहावत है...लौटकर बुद्धू घर को आए...लेकिन यहां कहानी एक प्रेमिका की है... जिसने कुछ दिन पहले पति को छोड़कर प्रेमी के साथ घर बसा लिया था... लेकिन अब वो लौटकर अपने पुराने पति के पास पहुंच गई है... इस कहानी में इश्क है...इजहार है...और पल भर में बदलते रिश्तों का करार है...इस कहानी में मोहब्बत अपने पुकाने मुकाम से नए मुकाम तक पहुंचती भी है...लेकिन रिश्तों की उलझी डोर... कहानी को फिर उसी मोड़ पर ले जाती है... जहां से ये कहानी शुरू हुई थी...पुरानी कहावत है...लौटकर बुद्धू घर को आए...लेकिन यहां कहानी एक प्रेमिका की है... जिसने कुछ दिन पहले पति को छोड़कर प्रेमी के साथ घर बसा लिया था... लेकिन अब वो लौटकर अपने पुराने पति के पास पहुंच गई है... इस कहानी में इश्क है...इजहार है...और पल भर में बदलते रिश्तों का करार है...इस कहानी में मोहब्बत अपने पुकाने मुकाम से नए मुकाम तक पहुंचती भी है...लेकिन रिश्तों की उलझी डोर... कहानी को फिर उसी मोड़ पर ले जाती है... जहां से ये कहानी शुरू हुई थी...