वीडियो जानकारी: 19.04.2024, अनौपचारिक सत्र
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने बताया है कि भगवद गीता केवल एक बेहतर कर्मचारी (Employee) बनने के लिए नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने के लिए है। जब कोई व्यक्ति भीतर से सुलझ जाता है और सच्चे अर्थों में इंसान बनता है, तभी वह अपने काम को सही ढंग से देख और समझ पाता है।
उन्होंने एक अनुभव साझा किया, जिसमें एक कॉर्पोरेट कंपनी ने गीता पर एक ट्रेनिंग सेशन आयोजित किया। लेकिन गीता के ज्ञान ने कर्मचारियों को इतना प्रभावित किया कि कई लोगों ने अपनी "गलत" या "बेकार" नौकरियों से इस्तीफा दे दिया, जिससे कंपनी को काफी परेशानी हुई। इस घटना से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि गीता व्यक्ति को सच, न्याय और धर्म की ओर ले जाती है — चाहे इसके परिणामस्वरूप उसे नौकरी छोड़नी ही क्यों न पड़े।
आचार्य जी ने ज़ोर देकर कहा कि अच्छा करियर वह नहीं है जो सिर्फ धन या समाज में सम्मान दिलाए। करियर चुनते समय यह देखना ज़रूरी है कि क्या यह काम सत्य, नैतिकता और इंसानियत के अनुकूल है। अगर आपका काम झूठ, अनैतिकता, हिंसा, या किसी गलत उद्देश्य को बढ़ावा देता है, तो वह करियर आपको भीतर से खोखला बना देगा।
उन्होंने यह भी बताया कि बहुत लोग मजबूरी के नाम पर गलत कामों में सालों लगे रहते हैं। लेकिन 40 साल की मजबूरी असल में सिर्फ बहाना है — यह आपकी अपनी पसंद और स्वार्थ है। अगर आपकी नौकरी किसी बुरी ताकत को मजबूत करती है, तो आप भी उस अधर्म के भागीदार बन जाते हैं।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
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संगीत: मिलिंद दाते
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