हम जीवन में हमेशा सत्य बोलते है और दूसरों से भी ये ही अपेक्षा रखते है| जब दुसरे हमारे सत्य को गलत कहते है तब इससे होने वाले घर्षण से कैसे मुक्त हो? वास्तविकता में सत्य की परिभाषा क्या है?