इस संसार मे सीधा इन्सान होने के बावजूद भी हमे क्यों अन्याय भुगतना रहता है? अध्यात्मिक द्रष्टि से इन संजोगों को हमे किस तरह से लेना चाहिए जिससे हमे इस संसार से मुक्ति मिले?