अपने जीवन में हमसे जो बुरे कर्म हो जाते है उनसे कैसे छुटकारा पाएं और उनके बोज से कैसे छूटे? ऐसे कर्म दोबारा न हो उसके लिए क्या पुरुषार्थ कर सकते है?