जीवन का एकमात्र ध्येय तमाम दुःखोसे मुक्ति पाना वह हैं |व्यवहार दुःख देनेवाला नहीं हैं, व्यवहार में अज्ञानता दुःख देनेवाली है | अगर हमें आत्मसाक्षात्कार हो गया तो इसी संसार व्यवहार में रहकर हम तमाम दुःखो से मुक्ति में रह सक्ते हैं।