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वीडियो जानकारी: 04.06.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
"जो मैं बौरा तो राम तोरा
लोग मरम का जाने मोरा।
मैं बौरी मेरे राम भरतार
ता कारण रचि करो स्यंगार।
माला तिलक पहरि मनमाना
लोगनि राम खिलौना जाना।
थोड़ी भगति बहुत अहंकारा
ऐसे भगता मिलै अपारा।
लोग कहें कबीर बौराना
कबीर का मरम राम जाना।"
~ कबीर साहब
बैद मुआ रोगी मुआ, मुआ सकल संसार।
एक कबीरा ना मुआ, जाके राम अधार।।
~ कबीर साहब
निर्गुण सगुण दोउ से न्यारा, कहैं कबीर सो राम हमारा।
~ कबीर साहब
एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा।
एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा॥
~ कबीर साहब
राम ब्रह्म परमारथ रूपा। अबिगत अलख अनादि अनूपा॥
सकल विकार रहित गतभेदा। कहि नित नेति निरूपहिं वेदा॥
~ रामचरितमानस
कबीर कुत्ता राम का, मोतिया मेरा नाऊँ।
गले राम की जेवड़ी, जित खींचे तित जाऊँ॥
~ संत कबीर
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति।।9.31।।
हे कौन्तेय, वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।
~ श्रीमद् भगवद् गीता (9.31)
संगीत: मिलिंद दाते
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