दीपावली पर घर-आंगन से शहर का कोना-कोना संवारा जाता है, लेकिन शहर की बसावट व सुरक्षा के साक्षी रियासत कालीन परकोटों को संवारने के लिए पांच सौ वर्षों से एक बार भी दीपावली नहीं आई।