दूसरों के लिए अच्छा करने पर भी आज हमें विपरीत परिणाम क्यों मिलता है? अच्छे कर्म के सामने अच्छा पाने की अपेक्षा के लिए हमे किस प्रकार समाधान लाना चाहिए?