बचपन से ही मुसीबतों से नहीं हारने वाली रिया ने जिम्मेदारियों संभालते हुए ही लड़ना सीखा। बदमाशों से लड़ते वक्त किसी भी तरह का डर का भाव नहीं दिखा। वे कहती हैं कि उस वक्त एक सेकेंड का समय व्यर्थ करना भी मुझे कठिनाई की ओर ले जाता। वे सीधा बदमाशों से भिड़ गईं और दादी के कुंडल छीन कर ही दम लिया।