दो से तीन लाख रुपए खर्च कर तैयार कर लिया सिस्टम, सब्सिडी भी मिल रही। उपभोग के बाद जो यूनिट बचतीं उसको विद्युत विभाग को दे देते, बदले में मिल जाता पैसा