वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में स्थित वेधशाला का गौरव फिर से लौटेगा। देशभर के संस्कृत विश्वविद्यालयों में सबसे पहले यहां स्थापित यह वेधशाला फिर से ग्रहों की सूक्ष्म गणना करेगी। दो दशक के लंबे अंतराल के बाद महामहोपाध्याय पं. सुधाकर द्विवेदी वेधशाला को खोलने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस पहल पर इंटैक ने वेधशाला के खराब पत्थर बदलने और यंत्रों को दुरुस्त करने के लिए आर्थिक मदद की है। वर्तमान सत्र में छात्रों को इस वेधशाला का लाभ मिल सकेगा