बच्चों ने रामलीला कर ग्रामीणों का किया मनोरंजन
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गाजीपुर। कला संस्कृति और उत्सव भारतीय जनमानस की पहचान है ये संस्कृति लोगों में कूट कूट कर भरी हुई है। लेकिन कोरोना काल में संक्रमण को देखते हुए शासन और प्रशासन की तरफ से रामलीला मंचन की अनुमति नही मिली। तब रामलीला में आस्था रखने वाले रामलीला समितियों समेत बुजुर्गों और बच्चों में सबसे अधिक मायूसी देखी गयी। लेकिन कोरोना को देखते हुए रामलीला मंचन का कार्य भले ही लोग करते हो पर मंचन बाधित होने पाए इस लिए घर की महिलाओं ने अपने आराध्य की छवि बनाने और उनके दर्शन पाने की भरपूर कोशिश की है। जी हां गाजीपुर के खानपुर थाना इलाके के सिधौना गांव में रामलीला का मंचन बंद होने पर जब बच्चे उदास और निराश घरों में कैद हो गए । तब गृहणी हेमा सिंह ने सभी गांव के बच्चों को बुलाया और उन्हें रामायण के पात्रों का रूप देना शुरू कर दिया। प्रतिदिन बच्चों के साथ घरों में ही रामलीला शुरू कर दिए। बच्चों के दिल बहलाने की प्रक्रिया को देखते ही देखते जन समर्थन मिलने लगा। गांव की महिलाएं और अन्य लोग इन बच्चों की मोहनी रूप देखकर काफी मग्नमुग्ध होते है। वहीं जब बाल रामलीला आयोजक हेमा सिंह प्रतिदिन बच्चों को अलग अलग देवी देवताओं का स्वरूप प्रदान कर उनका और अपने साथ ग्रामीणों का मनोरंजन करती है। साथ ही नवरात्रि में अन्य लोगों के आस्था का पूरा ध्यान रखतीं है। बच्चे लीला के संवाद तो नही बोलते पर अपनी भोली अदा से देव स्वरूप का दर्शन लोगों को जरूर करा रहे है।