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बड़ी बड़ी इमारतें बनाने वाले मजदूर नही बना पाते अपना भविष्य ,देखिये ये कार्टून

2020-09-06 43 Dailymotion

देश में अर्थव्यवस्था के खस्ताहाल होने से जनता की माली हालत खराब है.खासतौर से मजदूर वर्ग के हाल तो और भी बुरे हैं.लॉक डाउन ने उनकी तंगहाली में आग में घी का काम किया और काफी बड़ी संख्या में मजदूर पुरी तरह बेरोजगार हो गए.हालांकि लॉक डाउन और खराब अर्थव्यवस्था के इतर भी मजदूर वर्ग की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमज़ोर होती है और कई बार कर्ज़ तथा अन्य समस्याओं के कारण वे आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं.
पिछले साल यानी 2019 में आत्महत्या के कुल दर्ज मामलों में 23.4 फीसदी दिहाड़ी मजदूरों के थे। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें दिहाड़ी मजदूरों की संख्या करीब एक चौथाई यानी 32,563 रही।ये हमारे देश की विडंबना है कि बड़े बड़े बांध, पुल और इमारतें बनाने वाले मज़दूर दिन रात अपना पसीना बहाने के बावजूद अपना भविष्य नहीं बना पाते.मजदूरों के दर्द को बयां कर रहा है कार्टूनिस्ट सुधाकर का ये कार्टून