फ़िल्म मेरा साया का चर्चित गीत "झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में" तो आप सभी ने सुना ही होगा। इस गीत ने सिर्फ बरेली शहर को ही दुनियाभर में चर्चित नहीं किया, बल्कि यहां के बाजार की रौनक की दास्तां को भी बखूबी बयां किया है। बरेली शहर का जो बाजार सुबह से लेकर रात तक लोगों की चहलकदमी से रोशन रहता था, जहां एक बार झुमका गिरा तो भीड़ में कहीं ऐसा गुम हुआ कि दोबारा फिर कभी वापस नहीं मिला, आज करीब डेढ़ महीने से वो बाजार खामोश है। रमजान के पाक महीने में भी सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। दुकानों के बन्द शटर मानो ये सवाल पूछ रहे हों कि आखिर कहां एक साथ गुम हो गए इतने सारे लोग। कुतुबखाना, बड़ा बाजार, सिविल लाइंस, नॉवेल्टी समेत पूरे शहर की सड़कें वीरान सी हो गई हैं।
दिल्ली और लखनऊ के बीच नेशनल हाइवे 24 पर स्थित बरेली शहर की चारों दिशाओं में प्राचीन शिव मंदिर हैं। इस कारण ये शहर नाथ नगरी के नाम से भी मशहूर है। लेकिन आज नाथों की इस नगरी में सारे मंदिर सूने पड़े हैं। मंदिरों के पट बंद हैं और प्रांगण खाली पड़े हैं। वहीं विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत जिसकी दुनियाभर में पहचान है, जहां लोगों की इतनी भीड़ रहती थी कि गलियों में पैर रखने भर की जगह भी नहीं बचती थी, आज दरगाह वाली वो गली सूनी पड़ी है।