“ अवाम के नाम ”हां, मैं शाहीन बाग़ हूं ।जम्हूरियत का जश्न हूं,तरक्की की ताल हूंवतन की परस्ती में मज़हबी प्रयाग हूं हां, मैं शाहीन बाग़ हूं ।