वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२४ जनवरी, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
हीर राँझे दे होवे मैले,
बुल्ले हीर ढूंढेदी वैले
राँझा यार बगल विच खेले,
मेनू सुध-बुध रही न काई।
~ बुल्ले शाह
प्रसंग:
सत्य को क्यों भूल जाते है?
असली को कैसे याद रखें?
परमात्मा का सुमिरन कैसे करे?
क्यों भूले बैठे हो?
संगीत: मिलिंद दाते