वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
७ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
अपनी कहे मेरी सुने, सुनी मिली एकै होय।
हमरे खेवे जग जात है, ऐसा मिला न कोय ॥
~ कबीर दास जी
प्रसंग:
वास्तविक सभ्यता क्या है?
क्या सभ्यता लोगों को हिंसक बना रही है?
सभ्यताओं का असली उद्देश्य क्या है?
सभ्यताओं का स्रोत क्या है?
कौनसी सभ्यता सही और कौनसी ग़लत, कैसे जाने?
सभ्यता किस लिए है?
सभ्यता की क्या विशेषताएं है?
संगीत: मिलिंद दाते