वीडियो जानकारी:
हांसी खेल हराम है, जो जन रमते राम ।
मन्दिर इस्तरी , नहिं साधु काम काम ।।
~ गुरु कबीर
प्रसंग:
संत कबीर क्यों कह रहे है कि हँसना-खेलना हराम है?
क्या हँसना-खेलना आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए हराम है?
क्या कबीर साहब हँसने-खेलने को मना कर रहें हैं?
जानें इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-
आचार्य प्रशांत
शब्दयोग सत्संग
१६ नवम्बर २०१८
इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद
उत्तर प्रदेश
संगीत: मिलिंद दाते