वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, भ्रांति विध्वंसक यात्रा
१४ मई, २०१६
धर्मशाला
प्रसंग:
जब हम जागृत होकर देखते है तो और दुखी क्यों हो जाते है ?
क्या संवेदनशील होना ही दुःख का कारण है?
संत कहते है दुःख है पर वो दुखी नहीं हैI इसका क्या अर्थ है?
दुःख सुख से कैसे परे हो?