कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले पर मलेशियाई के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की आलोचना की थी। इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। उस समय भारत के विदेश मंत्रालय ने भी परोक्ष रूप से मलेशिया और तुर्की को जमकर लताड़ लगाई थी।
अब भारत के एक व्यापारिक कदम के चलते अब मलेशिया बैकफुट पर आता दिख रहा है। प्रधानमंत्री महातिर के रुख में भी नरमी आती दिख रही है। हालांकि सरकार ने सीधे-सीधे इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया है।
महातिर की यह नरमी के पीछे उनका हृदय परिवर्तन नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक संभावित फैसले के मद्देनजर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत मलेशिया से पाम ऑइल की खरीददारी पर रोक लगाने का विचार कर रहा है। ऐसा भी संभव है कि आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी जाए।
इस बीच, महातिर का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि भारत बहिष्कार या इस तरह का कोई और कदम उठाता है तो हम इस मामले का कूटनीतिक हल निकालने की कोशिश करेंगे। फिलहाल यह निर्णय भारतीय व्यापारियों का है। अत: इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती।
उल्लेखनीय है कि भारतीय व्यापारियों ने आयात ड्यूटी बढ़ने के डर से नवंबर-दिसंबर महीने के लिए मलेशियाई तेल खरीदना बंद कर दिया है। आयतकों को डर है कि भारत सरकार मलेशिया से आयात घटाने के लिए टैक्स बढ़ा सकती है।
एक जानकारी के मुताबिक भारत दुनिया भर में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है और मलेशियाई पाम तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। 2019 के पहले नौ महीनों में भारत ने 39 लाख टन पाम तेल खरीदा है।