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पश्चिमी यूपी: हिंदू और मुस्लिम का गणित

2019-04-05 8,968 Dailymotion

धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया | मुजफ्फरनगर/मेरठ. ‘जो मेरे दिल में है लोगों से छुपाऊं किस तरह, कांच के इस शहर को खालिद बचाऊं किस तरह’। मेरठ में लस्सी की चुस्कियों से 24 घंटे गुलजार रहने वाले घंटाघर चौराहे की दुकान पर बैठे फिल्म निर्माता शोएब हसन चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को खालिद शिराज़ी के इस शेर से बयां करते हैं। कहते हैं- हम एक-दूसरे को शक की नज़र से देखने लगे हैं, पिछले पांच सालों में यह बदलाव और तेजी से दिखा है। यहां चुनावी मुद्दे कोई भी हों, आखिर में आकर हिंदू-मुस्लिम पर सिमट जाते हैं। शोएब की इस बात को कुछ इस तरह समझ सकते हैं।